जाति रत्न पण्डित श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय

पण्डित श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय के बारे में जाने :

जाति रत्न

पण्डित श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय

भारत की धरा धाम पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लेकर अपने सद्कर्मों के द्वारा समाज का उद्धार किया। गुज॔रगोङ ब्राह्मण समाज में भी अनेक समाज सुधारक हुए। जिसमें एक श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय थे। जिन्होंने गुज॔रगोङ ब्राह्मण की अवर्णनीय सेवा की। श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय का जन्म अलतुवा ग्राम (वर्तमान मकराणा तहसील),जिला नागोर के पण्डित श्री रामगोपाल जी के यहाँ हुआ।आप की कर्म भूमि अजमेर रही । आप जीवन के प्रारंभिक काल से ही सरस्वती उपासक थे। आप विलक्षण प्रतिभा के धनी, कर्मठ कार्यकर्ता, औजस्वी वक्ता, सफल लेखक, कवि, नाटककार मधुभाषी होने के साथ ही सादा जीवन उच्च विचार के धनी थे। आपकी अग्रेंजी भाषा में अच्छी पकड़ थी। आपने अपनी आजीविका के लिए गुरुकुल का संचालन किया। वह गुरुकुल पण्डित जी के सद्प्रयासों से गौतम हाई स्कूल के रुप में परिवर्तित हो गया। पण्डित जी का परिधान भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत था। आप हमेशा सिर पर पगड़ी धारण करते थे। आपका उन्नत भाल था। आप लेखक व कवि होने के कारण आजीवन लेखन कार्य में लगे रहे। आपने गौ भक्ति, गौ सेवा,गौ प्रेम पर अनेक पुस्तकों की रचना की। आपने अपने जीवन काल में सामाजिक कुरीतियों को सामाप्त करने का भरसक प्रयास किया।

पण्डित श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय अजमेर

श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय के एक मात्र पुत्री मुन्नी देवी जो कि एक सुशिक्षित महिला थी। जिसका पाणिग्रहण संस्कार श्री गोवर्धन लाल शर्मा के साथ अहमदाबाद में हुआ। तत्कालीन समय में गौतम आश्रम पुष्कर की दयनीय स्थिति को देखकर आपका मन बहुत ही उदास हुआ। गौतम आश्रम पुष्कर के विकास के भाव ह्रदय में भर कर कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा विक्रम संवत 2002 तदनुसार 5 नवम्बर 1945ई को गुरुत्तर भार अपने कन्धों पर लिया। श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय ने समस्त गुज॔रगोङ ब्राह्मण समाज को गौतम आश्रम पुष्कर के विकास के लिए आव्हान किया। जिस प्रकार काशी विश्वविद्यालय के लिए महामना मदन मोहन मालवीय ने धन एकत्रित करने का प्रयास किया उसी प्रकार श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय ने गौतम आश्रम पुष्कर के विकास के लिए धन संचय करने लगे। आपने कर्मठता, कर्मण्यता, ओर तत्परता की ऐसी त्रिवेणी प्रवाहित की। जिसके शुभ परिणाम आने लगे। जिसके शुभ परिणाम के कारण गौतम आश्रम पुष्कर भव्य से भव्यत्तम बना। पण्डित जी अपनी औजस्वी वाणी से गुज॔रगोङ से अपील करते ओर आश्रम के लिए धन संचय करने लगे। आपने धन संचय के लिए अनेक श्लोगन बनाये। जैसे “एक पैसा रोज” “दाता ओर कृपण का संवाद ” “निमन्त्रण पत्रिका ” “पुण्य भावना जागे तो मानव के कष्ट भागे” “अपने पुण्य बढ़ाओ एवं आनन्द मनाओ” “महर्षि गौतम का फरमान ” आदि अपीलें प्रकाशित की। जिसके कारण गुज॔रगोङ ब्राह्मण में एक नई उर्जा का संचार हुआ। पुष्कर गौतमाश्रम ट्रस्ट ने समाज गौरव श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय की कृतज्ञता प्रकट करते हुए आश्रम के प्रांगण में पण्डित श्री जगन्नाथ जी उपाध्याय के विग्रह की स्थापना 26 मार्च 2010 ई को अध्यक्ष रामस्वरुप पंचारिया के द्वारा की गई।

दिव्य आत्मा शत्-शत् नमन वंदन।