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पुष्कर गुज॔रगोङ ब्राह्मण समाज के आराध्य न्याय शास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम की पावन पवित्र तपस्थली रही है। गुज॔रगोङ ब्राह्मण समाज के लोगों के ह्रदय में इसी भावना के कारण आज से एक सौ बीस वर्ष पूर्व यह विचार आया कि पुष्कर की दिव्य भूमि पर गौतमाश्रम की स्थापना की जाए ।
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प्राचीन शास्त्रों में न्याय दर्शन का महत्वपूर्ण स्थान हैं। जिसे प्राचीन समय में न्याय सूत्र के नाम से जाना जाता था। न्याय दर्शन की ज्ञान परम्परा, आचार्य परम्परा एवं ग्रन्थ परम्परा का लिखित इतिहास कम से कम 2200 वर्षों का मिलता हैं । महर्षि गौतम ने सर्वप्रथम न्याय दर्शन के वैदिक तत्वों को सूत्र बध्द करते हुए न्याय सूत्रम् की रचना की। न्याय दर्शन को समझने के लिए अनेक विद्वानों ने भाष्य किये जो अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं। भाष्यकारों ने न्याय दर्शन के हजारों ग्रन्थों की रचना की एवं न्याय दर्शन के सम्प्रदाय को विकसित किया। वर्तमान में लगभग 500 न्याय दर्शन के ग्रन्थ मिलते हैं। जिनके पृष्ठों की संख्या 10 लाख हैं। हमारा उद्देश्य न्याय दर्शन के ग्रन्थों का संकलन कर समाज के लोगों तक पहुँचाना है।