Double Bed Room

श्री पुष्कर गौतम आश्रम

पुष्कर गुज॔रगोङ ब्राह्मण समाज के आराध्य न्याय शास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम की पावन पवित्र तपस्थली रही है। गुज॔रगोङ ब्राह्मण समाज के लोगों के ह्रदय में इसी भावना के कारण आज से एक सौ बीस वर्ष पूर्व यह विचार आया कि पुष्कर की दिव्य भूमि पर गौतमाश्रम की स्थापना की जाए ।

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श्री पुष्कर गौतम आश्रम

क्यों ?

पुष्कर पुराना बस स्टैंड

850 Meter

पुष्कर नया बस स्टैंड

300 Meter

अजमेर जंक्शन

13.9 kilometre

महर्षि गौतम धर्म ग्रन्थालय

प्राचीन शास्त्रों में न्याय दर्शन का महत्वपूर्ण स्थान हैं। जिसे प्राचीन समय में न्याय सूत्र के नाम से जाना जाता था। न्याय दर्शन की ज्ञान परम्परा, आचार्य परम्परा एवं ग्रन्थ परम्परा का लिखित इतिहास कम से कम 2200 वर्षों का मिलता हैं । महर्षि गौतम ने सर्वप्रथम न्याय दर्शन के वैदिक तत्वों को सूत्र बध्द करते हुए न्याय सूत्रम् की रचना की। न्याय दर्शन को समझने के लिए अनेक विद्वानों ने भाष्य किये जो अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं। भाष्यकारों ने न्याय दर्शन के हजारों ग्रन्थों की रचना की एवं न्याय दर्शन के सम्प्रदाय को विकसित किया। वर्तमान में लगभग 500 न्याय दर्शन के ग्रन्थ मिलते हैं। जिनके पृष्ठों की संख्या 10 लाख हैं। हमारा उद्देश्य न्याय दर्शन के ग्रन्थों का संकलन कर समाज के लोगों तक पहुँचाना है।